https://www.facebook.com/roorkeeweather/ रुड़की में इंजीनियरी कौशल का बेहतरीन उदाहरण है सोलानी नदी पर बना जलसेतु| 1847-49 में बनें इस डाटदार पुल (arch bridge) के नीचे सोलानी नदी और ऊपर गंगा नहर बहती है| इसमें 50 फुट पाट की 15 डाटें हैं, जिनके ऊपर से होकर 164 फुट चौड़ी और 10 फुट गहरी नहर सोलानी नदी को पार करती है। इस नहर का तीन मील से अधिक भाग पक्की चिनाई का है| ऐसा कहा जाता है कि पहली बार में असफल होने पर इंजीनियर कोटले ने इस पुल का पुनः निर्माण कराया और नहर में पानी छोड़े जाने से पूर्व वे पुल के नीचे कुर्सी डालकर बैठ गए ताकि यदि वे पुनः असफल हुए तो खुद भी वहीं समाधिस्थ हो जाए| कुछ वर्ष पूर्व एक और नए पुल का निर्माण करके नहर को बड़ी खूबसूरती से दो भागों में बांटा गया| बरसात के दिनों में सोलानी नदी पानी से भर जाती है तथा बहुत ही खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है|
https://www.facebook.com/roorkeeweather/ रुड़की एक बहुत खूबसूरत शहर है| रुड़की की खूबसूरती का बखूबी इस्तेमाल प्रोडयूसर और डायरेक्टर मेहबूब खान ने 1962 में अपनी फिल्म "सन ऑफ़ इंडिया" में किया था| शकील बदायूंनी के लिखे गीत “नन्हा-मुन्ना राही हूं, देश का सिपाही हूं, बोलो मेरे संग- जय हिंद! जय हिंद! ” में रुड़की के सोलानी नदी के पुल, नहर और शेरों की मूर्तियों का बहुत सुंदर फिल्मांकन किया गया है| देखिये इस गाने में फिल्माई गयी रूडकी शहर की तस्वीरें|
रुड़की के सुनहेरा गांव में हैं लगभग 250 वर्ष पुराना बरगद का पेड़ जो हमारे भारत देश की आज़ादी की लड़ाई का एक साक्षी है| 19 वीं सदी में ब्रिटिश सरकार द्वारा इस पेड़ की शाखाओं पर न जाने कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर लटका दिया गया था| कई क्रांतिकारियों को जो ब्रिटिश सरकार के शासकों के आदेशों की अवहेलना करते थे और भारत देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने की हिम्मत करते थे उन्हें इसी पेड़ पर भीड़ के सामने फांसी दी जाती थी| स्थानीय लोग बताते हैं कि इस पेड़ पर लगभग 200 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गयी थी| कुछ वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग द्वारा इस पेड़ के ऐतिहासिक महत्व को देखकर स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में एक स्मारक बनवाया गया था| इस पेड़ के समीप जाते ही शहीदों के सम्मान में सिर अपने आप झुक जाता है|
https://www.facebook.com/roorkeeweather/ आईआईटी, रुड़की सबसे पुरानी तकनीकी संस्थान है जो अपनी शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण 1847 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य गंगा नहर के निर्माण के लिए प्रशिक्षण देना था। अब यह युवाओं को तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है ताकि उन्हें वैश्विक चुनौतियों के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। यह भारत और दुनिया में सबसे अच्छी शिक्षा संस्थानों में से एक है और तकनीकी उन्नति में योगदान दिया है।
https://www.facebook.com/roorkeeweather/ सोलानी एक्यूक्डक्ट एक हाइड्रो निर्माण है जो सोलानी नदी पर बना है। इसका निर्माण 1846 में अंग्रेजों द्वारा किया गया था इंजीनियरिंग में यह सबसे अच्छा इंजीनियरिंग चमत्कार है। यह रूड़की के लोगों के लिए आकर्षण का एक प्रमुख स्रोत है। शानदार धनुषाकार जल संचयन शेर संरचनाओं के साथ अलंकृत है। फ्रंटिसपीस ने दो सुरुचिपूर्ण विवरण दिखाए: इंग्लैंड से आयातित सजावटी लौह रेलिंग और बड़े पत्थर शेरों के जोड़े, जो स्थानीय रूप से किए गए और जलसेतु के प्रत्येक छोर पर रखे गए
रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है[2] और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है।
रूड़की का नाम रुरी/ रूड़ी से पड़ा, जो बड़गूजर राजपूत सरदार की पत्नी थी और पहले इसे 'रुरी की' भी लिखा जाता था। स्थानीय भाषी ग्रामवासियों का मानना है की इसे इसका नाम "रोरोन की" अर्थात रोर का निवास से मिला।
१८वीं सदीं में रूड़की सोलानी नदी के पश्चिमी तट पर बसा गांव था| तात्कालिक सहारनपुर जिले के पंवार(परमार) गुर्जरों (जो बड़गूजर कहलाते थे )की लंढौरा रियासत (पूर्व की झबरेड़ा रियासत)के अंर्तगत आता था| यह क्षेत्र गूजरों द्वारा शासित होने के कारण 1857 ई० तक " गुजरात(सहारनपुर)" कहलाता रहा , 1857 की क्रांति में गुर्जरो व रांघड़ो द्वारा किए गए भयंकर विद्रोहो व उपद्रवो के कारण अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति के दमन के बाद गुर्जरों के प्रभाव को कम करने के लिए तमाम सरकारी दस्तावेजों व अभिलेखो में " सहारनपुर- गुर्जरात्र(गुजरात)" नाम पर प्रतिबंध लगा दिया गया और सिर्फ ' सहारनपुर' नाम दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए गए| (देखिए- सहारनपुर गजेटियर)
यह 1813 ई० में लंढौरा राज्य के राजा रामदयाल सिंह पंवार की मृत्यु के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया| अंग्रेजों ने गुर्जरो की गंगा- यमुना के दोआब में लगातार बढ़ती जा रही ताकत को कमजोर करने व साथ ही रूहेलाओं ( नजीबाबाद क्षेत्र ) को अपने नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से रूड़की गांव में छावनी की स्थापना की| जिसका उपयोग 1824 ई० में लंढौरा रियासत (गुजरात- सहारनपुर) के ताल्लुका व गुर्जर किले कुंजा बहादुरपुर के राजा विजय सिंह पंवार के नेतृत्व में लड़े गए पहले स्वतंत्रता संग्राम व 1857 ई० में सहारनपुर(गुजरात) के गुर्जरों व रांघडों द्वारा किये गए भयंकर विद्रोहो को कुचलने के लिए किया गया| अप्रैल 1842 में अंग्रेज अधिकारी सर प्रोबे कोटले के नेतृत्व में गंगनहर निर्माण हेतू खुदाई प्रारंभ की गई , तथा गंगनहर के निर्माण कार्य व रखरखाव के लिए 1843 में नहर के किनारे canal workshop व Iron foundry की स्थापना की गई |
गंगनहर निर्माण में लगे अभियंताओ व श्रमिको को प्रशिक्षण देनें के उद्देश्य से 1845 ई० में ' सिविल इंजीनियरिंग स्कूल ' स्थापना की गई जिसका नाम 1847 ई० में " थॉमसन कालेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग , रूड़की" कर दिया गया और यह दुनिया में स्थापित होने वाला पूरे एशिया महाद्वीप व भारत का पहला इंजीनियरिंग कालेज बन गया , 1947 ई. में इसकी सेवाओं व महत्ता को देखते हुए इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया तथा इसका नाम बदलकर " रूड़की विश्वविद्यालय" ' University of Røorkee' कर दिया गया| 21 सितंबर वर्ष 2001 में संसद में कानून पारित कर भारत सरकार ने इसे देश के 07वें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के रूप में मान्यता दी|
रूड़की नहर की खुदाई के लिए सर्वप्रथम 22 दिसंबर 1851ई. में भाप के इंजन से चलने वाली देश की पहली रेलगाड़ी (मालगाड़ी) रूड़की व पिरान कलियर के बीच ट्रैक(track) बिछाकर चलाई गई थी| रूड़की गंगनहर का निर्माण कार्य 1854 में पूर्ण हुआ तथा इसे 08 अप्रैल 1854 को चालू कर दिया गया जिससे लगभग 5000 गांवो की लगभग 767000 एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है तथा उत्तराखंड राज्य के जनपद हरिद्वार के पथरी व मौह्म्मदपुर गांवो मे इस पर जल-विद्युत गृह बनाकर बिजली उत्पादन भी किया जा रहा है|
रुड़की 29.87°N 77.88°E.[3] के अंक्षाशों पर स्थित है। इसकी समुद्रतल से ऊँचाई २६८ मीटर है। यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से १७२ किमी उत्तर में गंगा और यमुना नदियों के मध्य, हिमालय की तलहटी में स्थित है। ९ नवंबर, २००० को उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था।[4]
मौसम
रूड़की भौगोलिक रूप से किसी भी बड़े जलाशय से दूर होने और हिमालय के निकट होने के कारण रुड़की का मौसम बहुत चरमी और अस्थिर है। ग्रीष्म ऋतु मार्च के अतिकाल से आरम्भ होती है जो जुलाई तक रहती है और औसत तापमान २८० से. रहता है। मॉनसून का मौसम जुलाई से आरम्भ होकर अक्टूबर तक रहता है और मॉनसून के बादलों की हिमालय द्वारा रिकावट के कारण प्रचण्ड वर्षा होती है। मॉनसून के बाद का मौसम अक्टूबर से आरम्भ होता है और नवंबर के अंत तक जारी रहता है, जब औसत तापमान २१० से. से १५० से. तक तहता है। शीत ऋतु दिसम्बर में आरम्भ होती है, जब न्यूनतम तापमान जमाव बिन्दू तक पहुँच जाता है जिसका कारण है हिमालय से आने वाली अवरोहण पवनें। कुल वार्षिक वर्षा १०२ इंच तक होती है।
रुड़की के निकट प्रमुख बड़े नगर हैं देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, अंबाला और चण्डीगढ़ हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ (एनएच५८) (दिल्ली - हरिद्वार - माणा पास) और एनएच७३ (पञ्चकुला/चण्डीगढ़ - यमुना नगर- रुड़की) रुड़की से होकर जाते हैं।
२००१ की जनगणना के आधार पर, रुड़की की जनसंख्या २,५२,७८४ है जिसमें से पुरुष ५३% और महिलाएँ ४७% हैं। रुड़की की औसत साक्षरता सर ८२% है, जो राष्ट्रीय औसत ६४% से अधिक है: पुरुष साक्षरता ८७% और महिला साक्षरता ८१% है। ११% जनसंख्या ६ वर्ष से कम आयुवर्ग की है। इस नगर में हिन्दू ६१%, मुसलमान २८%, सिख/पंजाबी ८%, जैन २.७% और ईसाई ०.३% हैं।
कुल २,५२,७८४ की जनसंख्या के साथ, यह उत्तराखण्ड में हरिद्वार और हल्द्वानी के बाद तीसरी सबसे बड़ी नगरपालिका परिषद है।
सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रुड़की हाइड्रोलिक मॉडलिंग, सिविल इंजीनियरिंग, सामग्री परीक्षण और भूजल अध्ययन के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है। यह उत्तराखंड के सिंचाई विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत उत्तराखंड संस्थान की सरकार है। यह "कोई लाभ नहीं हानि" आधार पर अध्ययन चलाता है। संस्थान के बहादराबाद स्टेशन में हाइड्रोलिक मॉडल की सुविधा भारत में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। मॉडल अध्ययन के लिए उपलब्ध मुक्ति 8 क्यूमेक तक है और 10 मीटर तक की गिरावट है, इसलिए मॉडल अपेक्षाकृत बड़े हैं और बेहतर परिणाम देते हैं।
सामग्री परीक्षण सुविधाओं में मृदा परीक्षण, असर क्षमता पारगम्यता, रॉक टेस्टिंग जैसे मॉड्यूलस ऑफ विरूपण, पुल आउट, टनल टेस्टिंग, ब्रिज लोड टेस्ट, सीमेंट इकल्लीेट, ईंट एंड स्टील की गुणवत्ता, कंक्रीट मिक्स डिज़ाइन इत्यादि की जांच शामिल है।
यह संस्थान ग्राउंड वाटर से संबंधित अध्ययनों में भी व्यस्त है, जैसे कि उप सतह के पानी के संयोजन और पानी का प्रवेश, नहर की छत की उपयुक्तता, नहरों से टपका, ट्यूब कुओं के लिए एक्विफेर की सूटिबिलिटी, बारहमासी से पानी के पुनर्जन्म / सेपेज के अध्ययन नदियों और कृत्रिम भूजल पुनर्भरण आदि।